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बदल जाते पुरुष सचमुच बिटिया के जन्म के बाद

बदल जाते पुरुष सचमुच बिटिया के जन्म के बाद



एक सामान्य हिंदी कविता हैं,इसमें  लेखक ने एक पिता और बेटी के अनन्य प्रेम को प्रकट करने का प्रयास किया है,


लेखक- आर एस दिवराया


जब भी आती है मुसिबत कोई  अक्सर करते हैं माँ को याद लेकिन आती जब मुसिबत बङी आते है पापा जी याद

कहते है लौग सभी
बदल जाती है स्त्रिया शादी के बाद,
बदल जाते पुरुष सचमुच बिटिया के जन्म के बाद,

जो खोजता तर्क हर बात पर ,
घुटना टेक देता
प्यारी सी बिटीया की मुस्कान पर,

दिन भर करता है कड़ी महेनत 
फिर भी होता बिटिया की
हर बात  पर सहमत 

सुना होगा आपने कि मर्द रोया नहीँ करते
लेकिन बिठाकर बिटिया को विदाई की डोली में पल्के भिगोयो करते,

कल का कङक पिता अब बदल गया,
क्योकिँ अब जमाना बदल गया॥ 

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