एक ऐसा पेङ जो एक किसान परिवार के जीवन का एक अभिन्न अंग हैँ।
हैल्लौ दोस्तो नमस्कार !
मेरे चचेरी भाई की शादी मेँ शामिल होने के कारण बहुत दिनो से पोस्ट नहीँ कर पाया इसके लिए माफी चाहाता हूँ। शादी काम की वजह से दिमाग कुछ काम नहीँ कर रहा था तो सोचा क्यो ना आज आपको राजस्थान के 'कल्पवृक्ष' के बारे मेँ जानकारी दे दी जायेँ।
कहते है कि कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक पेङ है जिससे जो मागोगे मिलेगा अर्थाथ सभी इच्छ्या पूर्ण करने वाला पेङ, लेकिन हम यहाँ खेजङी की बात कर रहेँ , खेजङी राजस्थान के अर्ध्दमरुस्थलिय भागो का एक वृक्ष हैँ। जल की कमी के कारण यह पेङ कंटिले और तना मोटी छाल वाला होता हैँ।>
सावन के महीने में खेजड़ी
स्रोत -आर एस डी फोटोग्राफी
खेजङी की पत्तियाँ (लुंग) पशुओ के लिए उचित आहार माना जाता हैँ। और इसकी खाये टहनियाँ खेतो की मेङ पर लगाते हैँ तथा इसे सुखे ठूठो को किसान परिवार ईँधन के रूप मेँ काम लेते हैँ। खेजङी के तने के सुखने पर फर्निचर मेँ काम लिया जाता हैँ तथा इस पर लगने वाले फलो को सागरी कहते हैँ, जो सब्जि बनाने के काम आती हैँ। राजस्थान मेँ कैर सागरी की सब्जि प्रसिध्द हैँ। यहाँ के किसान सागरी को तङोकर उसका निर्जलिकरण (सुखाकर) करके रखते हैँ।
खेजङी की छगाई मध्य नवम्बर से लास्ट दिसम्बर तक की जाती हैँ।
खेजङी को कल्पवृक्ष इसलिए भी कहा जाता है क्योकि इसकी हर चिज काम आती है और एक किसान परिवार के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग हैँ।
दशहरे के अवसर पर खेजङी की पूजा भी की जाती हैँ।
सौजन्य - By Rs डी फोटोग्राफीबारिश की कमी तथा अनियत्रित कटाई के कारण इसकी संख्या दिन प्रति दिन घटती जा रही हैँ। राजस्थान का राज्य वृक्ष भी घोषित किया । जिसका वैज्ञानिक नाम प्रोसेसिस सिनेरेरिया है
जब भी खेजङी की सुरक्षा की बात आत है तो इतिहास का वो दृश्य आँखो के सामने घूमने लगता है जिसमेँ खेजङी ग्राम मेँ महाराज के आदेश से खेजङी के वृक्ष को काटते सिपाईयो रोकने के लिऐ गाँव के 350 से अधिक लोगौ ने खेजङी के साथ अपना बलिदान दे दिया ।
यदि आपको मेरा ब्लॉग पसँद आया और फेसबुक से जुङना चाहते हो तो यहाँ क्लिक करके लाईक बटन दबायेँ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-11-2014) को "भोर चहकी..." (चर्चा-1813) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'