कहाँ गये प्रकृति के सफाईकर्मि गिद्द
दोस्तो आज की पोस्ट प्रकृति के सफाईकर्मी गिद्दो के नाम
प्रकृति के सभी जीव-जन्तु अपना-अपना कृतव्य निभाते है फोटो समय लाईवतथा एक दुसरे पर निर्भर रहकर प्रकृति का संतुलन
बनाये रखते हैँ यदि एक भी जिव अपना कृतव्य भूल जाये तो प्रकृति का संतुलन
बिगङ जाता हैँ। कुछ ऐसा ही गिद्दो के विलुप्त होने से हूँआ हैँ। वो पल
याद करके बुत दुःख होता हैँ कि जहाँ आज से 10-12 साल पहले पेङो पर गिद्दो
की आवज गुँजा करती थी वह पेङ आज खाली नजर आते हैँ। मुझे आज भी वो पल याद
हैँ जब भी कोई पशु मरता था कि कुछ ही पलो मेँ उसका सफाया कर दिया जाता था
लेकिन आज एक पशु भी दस बीस दिन तक पङा-पङा प्रकृति को दुषित करते हैँ, उस
समय चाह दस पशु भी मर जाये एक दिन मेँ सफा हो जाता था। लेकिन यह सोचकर
बहुत अफसोस होता है कि अखिर कहाँ गये वो प्रकृति के सफाईकर्मि आज उनके
बिना हमारी प्रकृति प्रदुषित हो रही हैँ। मैँ बार बार यह सोचता हूँ लेकिन
आज तक पता नहीँ चला कि एक साल मेँ ही सारे गिद्द कहाँ गायब हो गये । खैर
कोई बात नहीँ लेकिन आपने तो देखा होगा परन्तु आने वाली पीढी केवल नाम ही
सुनेगी या फिर चिङियाघर मेँ ही देखगेँ। इस लिए आप से अनुरोध है कि एक
परजाति लुप्त हो गयी जो गयी लेकिन कोई दुसरी परजाति लुप्त न हो पाये । कल
हाजिर होगे कोई ऐसी ही खटना लेकर तब तक देखते रहेँ
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बहुत बढ़िया जानकारी ...कभी गाँव में बहुत सारे गिद्ध नज़र आते हैं स्कूल आते-जाते उन्हें छेड़ना भला लगता है अब तो कभी जावों तो दर्शन भी दुर्लभ हो गए ..
ReplyDeleteपहले तो मेरे घर के पास भी बहुत उङते थे लेकिन अब नहीँ
ReplyDeleteपहले तो मेरे घर के पास भी बहुत उङते थे लेकिन अब नहीँ
ReplyDeleteसामयिक मुद्दों पर सार्थक लेखन
ReplyDeleteधन्यवाद विभा जी
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट....सच में सारे बडे ,छोटे पक्षी विलुप्तहोते जा रहे हैं..। गौरैया हो या गिद्ध सब गायब होते जा रहे हैं...।
ReplyDelete:(
ReplyDeleteधन्यवाद सीमा जी आपने अपना कीमती समय दिया
ReplyDeleteआपकी चिन्ता में हम भी शामिल हैं। अच्छी बात है कि आप सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।
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